Education City - Dantewada, Chhattisgarh in Hindi (एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़)
एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़ जिसे वर्तमान में श्री अटल बिहारी वाजपेई एजुकेशन सिटी, जावांगा-दंतेवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस आर्टिकल में आप एक ऐसी शिक्षण संस्था के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिसे KPMG,केपीएमजी जैसी अन्तर्राष्ट्रीय मानक वाली संस्था ने भी गुणवत्ता के आधार पर विश्व के मुख्य 100 सफलतम एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों में इसे शामिल किया। श्री ओपी चौधरी जैसे युवा जिलाधिकारी ने कैसे अपनी दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति से धुर नक्सली इलाके में बंदूक की जगह बच्चों के हाथ में कलम पकड़वा कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में सम्मिलित करवाने में एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़ के माध्यम से सफल रहे और किस तरह हमारे देश के वर्तमान के यशस्वी और भावी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी तथा हमारे महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी ने भी मैया दंतेश्वरी की इस पावन धरती पर साक्षात आकर इस प्रतिष्ठित संस्था एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा,छत्तीसगढ़ को सम्मानित करने का लाभ उठाया है। आइए हम संक्षिप्त शब्दों में इस पूरी यात्रा को समझने की प्रयास करते हैं।
शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।
*नेल्सन मंडेला*
इस अनमोल वचन को वास्तविकता का रूप देने का प्रण और दृढ़ संकल्प जिला दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ के पूर्व जिलाधिकारी श्री ओपी चौधरी जी ने अपने प्रारंभिक के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2013 में एजुकेशन हब दंतेवाड़ा व एजुकेशन सिटी, दंतेवाड़ा के रूप में धरातल पर उतार कर किया था।
वर्तमान में इस शैक्षणिक संस्था का नामकरण हमारे यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी के नाम से "श्री अटल बिहारी बाजपेई एजुकेशन सिटी, जावांगा - दंतेवाड़ा" कर इस प्रदेश की इतिहास में इसेशा हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हमारे वर्तमान के महामहिम , राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी के कर कमलों द्वारा कर दी गई है।
नोट : श्री ओपी चौधरी जी के व्यक्तित्व और उनके कर्मठ जीवनी के बारे में आप मेरे आने वाले आर्टिकल में जान सकते हैं।
छत्तीसगढ़ का यह अद्भुत जिला दंतेवाड़ा जो माता दंतेश्वरी जी की पुण्य धरास्थल भी है और आप इस अद्भुत राज्य तथा माता के बारे में मेरी पिछली आर्टिकल के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते है।
- 36 किलो व गढ़ो वाला राज्य छत्तीसगढ़
- रहस्यमई जिला दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़
- माता दंतेश्वरी मंदिर, दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़
- बारसूर - मंदिरों और तालाबों की नगरी
- ढोलकल गणेश, दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़
आइए हम संक्षिप्त में जानने की प्रयास करते हैं कि आखिर वह क्या मुख्य कारण होगा जिसे एक युवा आईएएस अधिकारी को एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा को गढ़ने के लिए प्रेरित किया होगा,वह आखिर क्या मंजर था,जिसे उस दूरदृष्टि दाता कलेक्टर को इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट बनाना पड़ा।
Courtsey:OP Choudhary Chhattisgarh - YouTube
अकल्पनीय,अविश्वसनीय तथा स्वर्णिम पौराणिक इतिहास के बावजूद भी छत्तीसगढ़ राज्य का यह जिला पिछले कुछ दशकों से नक्सलवाद के कलंक से दुनिया की निगाहों में चुभता रहा है इस जिले की छवि को बहुत आघात जाने अंजाने में मिलता रहा है और हममें से अधिकांश लोग आज भी सोशल मीडिया,प्रिंट मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी लेते और पुष्टि करते रहते है।
आज भी यह दावा किया जाता है कि नक्सलवाद को और अधिक बढ़ावा देने में सलवा-जुड़ूम जैसी अभियान की भी भूमिका अहम रही थी।
उन दिनों परिस्थिति अनुसार जनहित में,नक्सलवाद विचारधारा को हमेशा के लिए जमीदोष करने के उद्देश्य से सरकार और क्षेत्रीय नेतृव के सहयोग से प्रारंभ किया गया यह आंदोलन कुछ तकनीकी कारणों की वजह से अपनी वास्तविक अस्तित्व को भूला किसी और ही दिशा में पथभ्रष्ट हो गया था जिसका खामियाजा एक मोहरे की तरह यहां के हमारे अपने भोले-भाले,बेकसूर वनवासी भाई बहनों को अपनी अस्तित्व,अपने जान माल को गवा कर दोनों ओर से(प्रशासन तथा माओवादी संगठन) भुक्तान करनी पड़ी थी और आज भी यह कही ना कहीं जारी है।
मीडिया और स्थानीय सूत्रों की अगर मानें तो लगभग उन दौरान 644 गांव को खाली करवा कर एक बड़ी आबादी को राहत शिविरों में स्तांतरण करवाया गया था, कई लोग बेघर और सैकड़ों लोग मारे गए थे।इस पूरी प्रकरण में सबसे ज्यादा हमारे नन्हे बच्चे और युवा पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। उनकी शिक्षा और शिक्षण व्यवस्था,जीविका और रोज़गार पर बहुत ज्यादा आघात पहुंचा था। सरकारी तथ्यों की अगर बात करें तो इसकी वजह से वर्ष 2011 में लगभग विद्यालयों में बच्चों का आने और शिक्षा प्राप्त करने का दर गिरकर 50% हो चुका था।
नोट : सलवा जुडूम अभियान क्या था और क्यों और कैसे इसे उन दिनों धरातल पर उतारा गया,यह आप सभी मेरी अगली आर्टिकल में जान सकते हैं।
सलवा जुड़ूम,एक जनजागरण अभियान या फिर कुछ और ! Salwa Judum Movement.
इस आंदोलन का नाम लेते ही आज भी हमारे भोले भाले वनवासी परिवारों के दर्द को उनके आंखों में आंसू के रूप में छलखते हुए आज भी देखा जा सकता है।
सरकारी आंकड़ों की अगर हम माने तो दंतेवाड़ा जिले का 67% भूभाग घने जंगलों, संकृण घाटिया,ऊंची पहाड़ियां तथा नदी नालों और झरनों से भरा पड़ा है। माता प्रकृति ने भी इस क्षेत्र को बहुमूल्य खनिज पदार्थों से मालामाल कर रखा है।उड़ीसा आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्य इसकी बहुत करीब है और सायद नक्सलवाद व माओवादी विचारधारा की फलने और फुलने की यह भी एक वह खास वजह हो सकती है !
इन्हीं सभी दृश्यों को ध्यान और संज्ञान में रखते हुए एक ज़िम्मेदार नागरिक और भारत सरकार के शीर्ष मुलाजिम होने के नाते श्री ओपी चौधरी जी ने इस पावन भूमि को,यहां के नन्हे बच्चे और युवा पीढ़ी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एक नई शुरुवात, एक नया स्वरूप देने के उद्देश्य से डर,असुरक्षा,अशांति से कोसो दूर शिक्षा को हथियार के रूप में आगे कर एजुकेशन हब बनाने का दृढ़ संकल्प लिया। मंजिल काफी कठीन और चुनौतीपूर्ण थी पर कहते है ना;
" जहा चाह, वहां राह "
और
" कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो..."
ये भी इरादे के पक्के थे।कठिन से कठिन परिस्थितियों के आगे ना झुके ना रुके और अपने निरंतर प्रयास से पढ़े दंतेवाड़ा,लिखे दंतेवाड़ा के तर्ज पर इसे जमीन पर उतार कर ही दम लिया जिसका फल पुरस्कार के रूप में केपीएमजी(KPMG) जैसी अन्तर्राष्ट्रीय मानक वाली संस्था ने विश्व के मुख्य 100 सफलतम एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों में एजुकेशन सिटी,जावंगा एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा को सुमार किया।
वहीं दूसरी ओर चौधरी जी को शैक्षिक परियोजनाओं के शुभारंभ हेतु लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री का पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सचमुच वहां के बच्चों और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक था और आज भी यहां की भावी युवा पीढ़ी उन्हें अपना आदर्श मानती हैं।
एजुकेशन सिटी दंतेवाड़ा,इसके ठीक पूर्व में जगदलपुर व चित्रकोट, पश्चिम में बीजापुर, उत्तर में चित्रकोट व नारायणपुर तथा दक्षिण में कोंटा विधानसभा की सीमा लगी है। यह बिल्कुल राष्ट्रीय राजमार्ग NH-16 से लगा हुआ है।
यहां तक पहुंचने का साधन हेतु, आप मेरी पिछली आर्टिकल को सहयोग के रूप में ले सकते है।
लगभग 170 एकड़ की भूमि और 100 करोड़ के लागत से एनएमडीसी,NMDC जैसी संस्था के सीएसआर के तहत और स्टेट फंडिंग के साथ इस एजुकेशन सिटी,जवांगा का शिलान्यास वर्ष 2011 में उन्होंने रखा और इसका एकमात्र मूलभूत उद्देश्य था -
नक्सलपीड़ित और क्षेत्र के अन्य जरूरतमंद परिवारों के बच्चो को एक ही परिसर में प्राथमिकता प्रदान करते हुए, प्राथमिक शिक्षा से स्नातकोत्तर तक निशुल्क आवासीय गुणवत्तापूर्वक शिक्षा उपलब्ध करवाना।
इसके अन्तर्गत बच्चो को निशुल्क रहने,खाने,पीने,और स्वास्थ्य का खास ध्यान रखने बाबत व्यवस्था की गई।
डर के बीच बम,बंदूक और बारूद की आवाजें,हृदय को विचलित करती भयावह मंजर, उनके अपने आंखो के सामने अपनो को हमेशा हमेशा के लिए बिछड़ता हुआ देखने का वह दर्दनाक लम्हा आज भी उन नक्सल पीड़ित बच्चो के मनस्पटल पर घर किए हुए है।
इसलिए यहां खास तौर पर, शैक्षणिक विकास के साथ साथ शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए भी एक विशेष टीम की व्यवस्था की गई है,जो हमारे इन बच्चो को प्यार और अपनत्व के माध्यम से निरंतर काउंसिलिंग की प्रक्रिया के तहत एक शांतिमय,सुखमय परिवेश का निर्माण करके उन्हें देश के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास करते रहते है ताकि दृढ़ संकल्प के साथ ये बच्चे अपने गौरवशाली भारतवर्ष के लिए एक कर्मठ और जिम्मेदार नागरिक बनकर खूब तन मन से पढ़ाई कर सके जिससे उनका अपना स्वर्णिम भविष्य का निर्माण हो पाए और समयानुसार वे अपनी अर्जीत जीवन के अनुभव को सेवाभाव,लोककल्याण को सर्वोपरि रखकर अपने आस पास के परिवेश में निरंतर जरूरतमंदों को बांटते रहें।
हिंदी/अंग्रेजी माध्यम से आस्था गुरुकुल विद्यालय जैसी उच्च कोटि के संस्था,विशेष आवश्यकता वाले बच्चो को अवरोध मुक्त आवासीय शिक्षा उपलब्ध करवाने वाली सक्षम जैसी संस्था,तो बालिकाओं के लिए कस्तूरबा बालिका विद्यालय है। वहीं दूसरी ओर खेल के लिए एकलव्य जैसी विधालय की भी रचना की गई है।
इस एजुकेशन परिसर में 500सीटर प्रयास विद्यालय के अलावा 300 सीटर पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जनजाति कन्या छात्रावास, 50 सीटर अनुसूचित अनुसूचित जाति कन्या छात्रावास तथा अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए 50 सीटर हॉस्टल का भी सुविधा है। पूरे परिसर को हरा-भरा ऑक्सीजोन के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रजातियों के पौधों का भी रोपण किया गया है।
कला,साहित्य और संगीत के लिए भी विशेष प्रावधान इस परिसर में किया गया है।
यहां सातवे जेनरेशन के आधुनिक कम्प्यूटर से लैश एक सुसज्जित लैब को भी स्थान दिया गया है जहां लीजलाईन के अलावा आरएफ से भी स्ट्रांग इंटरनेट की कनेक्टिविटी सुनिष्चित की गई है। भविष्य को लेकर इसे एक आई टी सेन्टर के रूप में भी स्थापित किया गया है। इंटरनेट व इंटेरेक्टिव बोर्ड से लैस कक्षा के कमरों को स्मार्ट क्लास का रूप दिया गया है जहां बच्चे आधुनिकतम तरीके से पाठ्य संबंधित विषय वस्तुओं का अध्ययन कर सकेंगे।
इस विद्यालय परिसर में विज्ञान की एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला भी उपलब्ध है। यहां पढ़ने वाले छात्रों को विज्ञान के साथ तकनीक की भी शिक्षा दी जाती हैं जहां वह किसी की भी 3 डी पिक्चर बनाने में बेहद सक्षम है।
इसके अलावा पूरे विद्यालय भवन के प्रांगण को देश के प्रतिष्ठित महापुरुषों की प्रतिमाएं, उनके उत्तम विचारों और सिद्धातों से कलरफूल तरीक़े से बनाया गया है ताकि हमारे ये बच्चें प्रतिदिन इन्हें देखकर प्रेरित हो सकें और उन्हें अध्ययन के लिए एक बेहतर परिवेश मुहैया हो सके।
छात्रों के लिए ओपन एयर जिम के साथ ही बाहर कैम्पस में बैठकर पढ़ने के लिए खास तरह का निर्माण किया गया है। पूरे इस विराट परिसर में पाथवे का भी निर्माण की गई है जहां छात्र वाकिंग-जागिंग कर पाए। प्रकाष के लिए पूरे कैम्पस में स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था की गई है।
यह कैंपस इंडोर और आउटडोर स्पोर्ट्स स्टेडियम की सुविधाओं से भी लैश है जहां ये बच्चे हॉकी,कबड्डी, तीरंदाजी और अन्य खेलों के जरिए अपने आप को हर तरीक़े से प्रशिक्षकों के देखरेख में सक्षम बना सकते है।
आईटीआई और एनएमडीसी डीएवी पॉलीटेक्निक जैसी संस्था का भी प्रावधान इस परिसर में टेक्निकल एजुकेशन यानी तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु स्थापित किया गया है।
यहां महानगरीय सुविधाओं के साथ आज 18 शैक्षणिक संस्थाएं,लगभग 7000 छात्रों के लिए सर्व संपन्न सुविधाए युक्त के साथ अपनी मौजूदगी भी करवा चुका है।
वहीं राज्य का सबसे बड़ा रूरल बीपीओ को भी इस प्रांगण में विशेष स्थान प्राप्त है जहां बस्तर के युवा पीढ़ी आज भी रोजगार का लाभ लेते नजर आ जाते है।
इस तरह आप यह देख सकते है कि इस परिसर में एक बच्चा शिक्षा,ज्ञान और सम्मान एक ही छत के नीचे गुणवत्तापूर्वक प्राप्त कर सकता है।
इस परिसर को खास बनाने में
1000 सीटों वाली तकनीकी सुविधाओं से लैस, गुणवत्ता वाली आडिटोरियम हॉल का भी है जिसका उपयोग अधिकांश इस क्षेत्र में जागरूकता के तहत शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संबंधित प्रोग्राम समय समय पर जिला प्रशासन ,एनएमडीसी द्वारा की जाती रही है।
हमारे देश के भावी और यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और महामहिम राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी भी इस आडिटोरियम की शोभा बढ़ा चुके है। मै स्वयं कई बार यहां के बच्चो को शिक्षा,रोजगार और जीवन जीने की कला सम्बन्धित विषयो पर प्रेरणात्मक कार्यशाला दंतेवाड़ा जिला प्रशासन और एनएमडीसी के सौजन्य से अपनी निस्वार्थ सेवा प्रदान कर चुका हूं और आज भी करता रहता हूं।
सच बताऊं,मै अपने निजी अनुभव से कह सकता हूं कि ये हमारे बच्चे बहुत प्रभावी, बेहद मेहनती और सच्चे है।इनमें वो जोश,जुनून और जज्बा विपरीत परिस्थितियों ने इस तरह से इनके अंदर कूट कूट कर भर दी है कि ये अपने राष्ट्र को नई दशा और दिशा देने की क्षेत्र में बिल्कुल समर्थ और सक्षम है।
आज हम जब भी अतीत को देखते हुए वर्तमान का आंकलन करते हैं तब बहुत कुछ बदला बदला हुआ नजर आता है। सरकारी सूचकांक सेंसस की हवाले से जहां वर्ष 2011 में बच्चों का विद्यालय के आेर रुझान का दर लुढ़क कर 50% हो चुका था वह वापस से 13% वर्ष 2013 में होकर अपनी मजबूती को साक्षात दर्शाता है पर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। आज सामाजिक और राजनैतिक दृढ़ इच्छा शक्ति की वापस से परम आवश्यकता है।
बच्चे हमारे देश की असली मजबूती है, अपने देश की नींव है। इनका सही रूप में लालन-पालन और पोषण हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है।इसलिए मैं आप सभी से विनम्र आग्रह करता हूं कि आप भी अपना थोड़ा सा कीमती समय अपने आसपास के जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित और मार्गदर्शन करने हेतु अवश्य दें।
विशेष नोट :
इस आलेख में कुछ जानकारियां क्षेत्रीय प्रिंट मीडिया और दंतेवाड़ा जिले की प्रशासनिक वेबलिंक www.dantewada.nic.in से प्रेरित है।
धन्यवाद।